अन्याय का प्रतिकार….
अन्याय का प्रतिकार….
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मैं अभी शांत हूॅं…
क्यों मैं शांत हूॅं…?
चारों तरफ़ हो रहे
अन्याय को ही देखकर
मैं अभी भी शांत हूॅं !!
ये कोई चुप्पी नहीं…
यह मेरा जवाब है !
नीति नियंताओं को
क्या इसका अहसास है ??
बचपन से हमेशा ही….
अन्याय मुझे सहन नहीं !
जब कभी देखता हूॅं इसे ,
अंतर्मन दुखित करता मुझे !!
पहले तो उसे रोकने का ,
भरसक प्रयास करता हूॅं !
और यदि असफल होता ,
तो खुद ही हट जाता हूॅं !!
पर वहाॅं पे ही रुककर ,
अन्याय झेलते रहने की ,
सहन शक्ति नहीं मुझमें !
मैं इसके सख़्त खिलाफ हूॅं !!
आज चारों ओर ही ,
जो कुछ भी घटनाएं….
सतत घटती जा रही !
उसकी ऊंची महल में से
आधा से भी ज़्यादा तो ,
गलत की नींव पर ही….
निरंतर खड़ी की जा रही !!
ये ग़लत सिलसिला अगर
कायम रहा लंबे वक्त तक !
तो एक दिन निश्चित रूप से
ये पूरा संसार ही गलत होगा !
अनैतिक आचार व्यवहार का ,
चारों ही तरफ़ बोलबाला होगा !!
ये दुनिया कहाॅं चली जाएगी ,
नहीं किसी को ये पता होगा !
अनिश्चितता का माहौल होगा !
चहुॅंओर ही अंधकार व्याप्त होगा !
किसी को कोई पूछनेवाला तक….
दूर-दूर तक नहीं मिल सकेगा !!
अब भी वक्त है संभल जाएं हम !
परस्पर विश्वास और भाईचारे से ,
निरंतर ही आगे बढ़ते जाएं हम !
जहाॅं कहीं अन्याय का हो बोलबाला ,
उसका प्रतिकार करते जाएं हम !!
मेहनत , ईमान , धर्म के संग-संग….
इक नया अजूबा संसार बनाएं हम !
अपने इर्द – गिर्द के वातावरण को
सच्चाई के हिसाब से सजाएं हम !
इक नवीन इतिहास रच जाएं हम !
इस जग में कुछ ख़ास कर जाएं हम !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 02 नवंबर, 2021.
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