” अन्नपूर्णा “
” अन्नपूर्णा ”
कभी देखा है
धान रोपती औरतों को ?
कैसे पानी से डूबे खेतों में
रोपती हैं धान डूबा कर अपने पैरों को ,
इनके डूबे पैरो को छू कर
धान आशीर्वाद लेते है
लक्ष्मी की मेहनत से साकार खेत
देखो कैसे लहलहा उठते हैं ,
धान रोपती हैं जब ये स्त्रियां
पैरों में पानी लग जाता है
सबका पेट भरने की खातिर
इनका पैर गल जाता है ,
गले पैर झुकी कमर का दर्द
कभी इनको हरा नही पाता है
अगली बार ये खेत इनको
फिर से वहीं खड़ा पाता है ,
ये नियम से हर बार
खुश होकर धान रोपती हैं
अपनी खुशी का इजहार ये
सुरिली कजरी गा कर करती हैं ,
कितना जूनून है इनके भीतर
ये खुद नही जानती
स्त्री के रूप में ये देवी हैं
इस बात को ये नही मानती ,
ये क्या कोई और भी नही
इन स्त्रियों को देवी है मानता
नियति देखिए इनकी
अन्नपूर्णा को अन्नपूर्णा नही स्वीकारता
अन्नपूर्णा को अन्नपूर्णा नही स्वीकारता ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 21/08/2020 )