अन्तिम राह
जिन्दगी एक पेड़ के,
पत्तों के सजातीय है,
जो कब खिन्न कर पतित जाए,
यह कथन नहीं सुबोध है।
जिसका ना वक्त निर्णीत हो,
वह अजीब लम्हा है अन्तिम राह,
जो एक हँसते – खेलते परिवार को,
एक क्षण में रुला जाता है।
गम की बौछार दे जाता है अन्तिम राह,
दुखों का भंडार है अन्तिम राह,
धरा पर आए सभी प्राणी का,
निश्चित है सबका अन्तिम राह एक दिन।
अच्छे कर्म करने वालों को,
स्वर्ग की जन्नत मिलता उसे,
बुरे कर्म करने वालों को,
नरक की ज्वाला में झोंकता उसे,
वह अजीब लम्हा है अन्तिम राह।
नाम :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार