अनोखे दोहे
में में करता जग गयो लीन न जो हरि को नाम बकरे की बलि भांति चढेऊ पूरा जहान//।माथे चढत अगार जो मंद में खोये चाहे वे सुर जाति के चाहे असुर वे होये।। राजा डेकर पे खडा रानी विस्तर सोई यह प्रभू लीला देखकर प्रेम तो ऐसा होई ।क्रोध ले गठरी बांधकर दे पानी मेें डाल । न जग में यह रहे । न होवे ज्वाल विकराल।।