अनोखा प्यार का बंधन
अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँ
पल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होना
रहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में ही खुदा बनकर
ना हमसे दूर जाना तुम और ना हमसे खफा होना
अपनी तो तमन्ना है सदा हर पल ही मुस्काओ
सदा तुम पास हो मेरे ,ना हमसे दूर हो पाओ
तुम्हारे साथ जीना है तुम्हारें साथ मरना है
तुम्हारा साथ काफी हैं बाकि फिर क्या करना है
अनोखा प्यार का बंधन इसे तुम तोड़ ना देना
पराया जान हमको अकेला छोड़ ना देना
रहकर दूर तुमसे हम जियें तो बो सजा होगी
ना पायें गर तुम्हें दिल में तो ये मेरी सजा होगी
मदन मोहन सक्सेना