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12 Jul 2021 · 1 min read

अनेक भाषा

हर भाषा की अपनी शान,
अभिव्यक्ति की पहचान दे।
मन भावों को इक दूजे के,
अन्तर्मन हृदय में डाल दे ।
अनेकानेक भाषाएं तो क्या,
सार तो सबका एक है ,
खुश्बू वतन की बिखेर देती,
उद्देश्य बड़ा ही नेक है।
पूरब से पश्चिम तक फैली,
जैसे रवि किरण निराली है।
वैसे अनेक भाषाओं की,
मृदु वाणी मतवाली है।
कहीं अवधी, कहीं मगधी,
कहीं मिथिला की परिपाटी है
और कहीं की क्षेत्रीय भाषा,
पीड़ा मन हर जाती है।
अनेक भाषाओं की ममता,
एकता में बाँध रही ।
हैं अलग अलग तो क्या,
मिलकर मधुरसता बाँट रहीं।

——अशोक शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 454 Views
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