अनसुलझे प्रश्न पृष्ठ फ़ाड़ दो
लोग नज़र अंदाज़ करते हैं
हमें अपने हिसाब से…
हम उन्हें अपना समझते थे
बस अपने हिसाब से…
गणित सीख पाया ही कहाँ अब तक भारत
इसलिए उलझता ही रहा है सवालों में,
उन अनसुलझे प्रश्न पृष्ठ फ़ाड़ दो
अब अपनी किताब से…..
भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपूर्ण राजस्थान