अनशन
उस दिन शहर के चौराहे पर लोगों की नारे लगाती अनशन पर बैठी भीड़ को देखा,
उस भीड़ में शामिल एक शख्स से मैंने पूछा,
अनशन का मुद्दा क्या है ?
उसने कहा हमें नहीं पता है ,
हमें तो नारे लगाने के लिए बुलाया गया है,
कुछ पैसे और नाश्ते का वादा किया गया है,
हमने सोचा बैठे ठाले क्या करते ?
चलो नारे लगाकर ही कुछ पैसा कमाते,
देश की सरकार क्या कुछ करे,
हमें कब पता चलता है ?
किसी भी पार्टी की सरकार रहे,
हमें क्या फ़र्क पड़ता है ?
देश को लूट- खसोट के नेतागण,
अपने-अपने घर भर रहे हैं ,
हम जैसे आम आदमी,
बेरोजगारी और महंगाई की मार से
भूखों मर रहे हैं,
न जाने कब हमारा नसीब बदलेगा ?
हमारी सुनने वाला भी कभी कोई आएगा।