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20 Sep 2022 · 1 min read

अनमोल है स्वतंत्रता

अनमोल है स्वतंत्रता
……………………….

हो प्रफुल्लित या स्वतंत्र हो !
पराधीनता मृत्यु तुल्य है
क्या स्वछंद हो ?

सांसें पहरे के बन्धन में
रोआँ तक है कर्ज में डूबा ,
उत्सव या जीवन की पीड़ा ?

उड़े परिंदा जब भी नभ में
अपने दोनों पंख पसारे ,
यह उसका सौभाग्य भला क्या
या ये है उपहार नियति का ?

जीवन यह कितना अमूल्य है
होकर खुश उल्लास ग्रहण हो ,
आजादी का पुनः वरण हो !

आजादी भी उत्सव ही है
संचालन यह जीवन पथ का ,
और सरल हर आगमन हो !

अनमोल है स्वतंत्रता !
विचारों की स्वछंदता !
व्यवहार की उत्कृष्टता !
!

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