अनमोल है स्वतंत्रता
अनमोल है स्वतंत्रता
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हो प्रफुल्लित या स्वतंत्र हो !
पराधीनता मृत्यु तुल्य है
क्या स्वछंद हो ?
सांसें पहरे के बन्धन में
रोआँ तक है कर्ज में डूबा ,
उत्सव या जीवन की पीड़ा ?
उड़े परिंदा जब भी नभ में
अपने दोनों पंख पसारे ,
यह उसका सौभाग्य भला क्या
या ये है उपहार नियति का ?
जीवन यह कितना अमूल्य है
होकर खुश उल्लास ग्रहण हो ,
आजादी का पुनः वरण हो !
आजादी भी उत्सव ही है
संचालन यह जीवन पथ का ,
और सरल हर आगमन हो !
अनमोल है स्वतंत्रता !
विचारों की स्वछंदता !
व्यवहार की उत्कृष्टता !
!