अनमोल दोस्ती
अनमोल दोस्ती का अनमोल तू खजाना
जीवन सोपान पद का पहचान भी कराना
अदृश्य डोर बंधकर, एहसास भी कराना
कमजोर जब पड़े तो विश्वास भी जगाना
ए दोस्त तू मेरी दोस्ती तो निभाना
अब नहीं चाहिए मुझे कुछ खजाना
कभी छिपकर रोना, कभी मुस्कुराना
ना मिले जो कभी फिर भी आश लगाना
दोस्ती हैं हमारी हमें हैं निभाना
सपने में मुझको कभी ना भुलाना
तेरी दो बाते दिलासा दिलाती
आकर मुझे मेरी कर्त्तव्यता बताती
असमंजस में कभी पड़ा जो मैं रहता
तेरी शब्द वार्ता स-शक्तियाँ आ भरता
अप्रत्यक्ष सा प्रवक्ता पहचान ही रहेगा
अभिशाप भी तुम्हारा वरदान ही रहेगा
दूर भी हो कितना पर पास हो हमारे
कितने भी दोस्त हो पर तुम हो सबसे न्यारे
इतिहास भी गवाही देने को तैयार हैं
ईश्वर से प्रार्थना का भी इकरार हैं
संजोग भी सहयोग भी संकल्प भी रहेगा
साधारण से असाधारण प्रति कल्प भी रहेगा