अनदेखा
ऐसे मत इग्नोर करिए रिश्तों को
मजबूत डोर में बाँधिए रिश्तों को
माता – पिता का हो या अन्य कोई
ठेस न पहुँचाईए उनको कोई
पति न अनदेखा करे पत्नी को
पत्नी न अनदेखा करे पत्नी को
एक चुम्बक के दो ध्रुव है दोनों
संजो रखिये अनमोल रिश्तों को
आहत मन विदीर्ण हो गया क्यूँ
वादों का पैमाना टूट गया है क्यूँ
घर बन रहे है कुरुक्षेत्र की भूमि
गुलिस्तां सा महकाईए रिश्तों का