अनजानी राहें
अजीब सी फितरत हो गई है इस जहां की,
सब जानते हुए भी अनजान बना फिरता है,
पांच सितारा में खाने वाला सादा खाकर सुर्खियों में आता है,
और सादा खाना भी जिसको चैन से नसीब नहीं,
वो गुमनाम हो जाता है,
कांड होते नए रोज़ पर खिलाफ कोई न बोलता है,
हलकी सी आंच आती किसी नामचीन पर तो दुखो का पहाड़ तक टूट पड़ता है,
नाम के हीरो पर तो पूरा देश जां लुटाता फिरता है,
लेकिन जिसने बढ़ाया देश का गौरव उसको न कोई पूछता है,
पांच सितारा के शेफ को अवॉर्ड अनगिनत दिए जाते हैं,
पर जिसकी वजह से मिला अन्न उससे बेखबर सब हो जाते हैं,
औकात भूलकर अपनी हर इक को पैरों तले दबाते हैं,
आती मुसीबत जब अपने पर तो हर कमजोर में ताकतवर नजर आता है,
जानकर हर चीज को मौन यह जहां हो जाता है,
अनजान बन कर यह इंसानियत की रूह तक रौंद डालता है