*अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी (गीत)*
अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी (गीत)
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अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी
1
जिए देश के लिए निरंतर, तन-मन-धन बलिदानी थे
गढ़ी भव्य आजाद हिंद, आजादी के सेनानी थे
रक्त बहाकर मुक्ति-युद्ध की, चले डगर थे नेताजी
2
आजादी से पहले ही, ध्वज आजादी फहराया
काले पानी के द्वीपों में, शासन हिंद चलाया
डूबी नौका अंग्रेजों की, एक भॅंवर थे नेताजी
3
अनुनय-विनय-प्रार्थनाओं में, कब विश्वास किया था
बंदूकों से उत्तर, अंग्रेजों को मुखर दिया था
कलुष भरे गोरों के मन में, बैठे डर थे नेता जी
4
यह सुभाष थे जिन्हें, स्वर्ण से लौह बनाना आया
आभूषण के बदले में, बंदूकों का धन पाया
पूजे गए देवता जैसे, हर घर-घर थे नेताजी
अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451