अनकही सी बातें
चले आओ मेरे साथिया
सावन मे फुहार की तरह
फागुन मे मल्हार की तरह
जेठ मे तपन की तरह या
दिसम्बर मे सर्द रातों की तरह
करनी है तुम से कुछ अनकही सी बातें ।
चले आओ मेरे साथिया
सावन मे फुहार की तरह
फागुन मे मल्हार की तरह
जेठ मे तपन की तरह या
दिसम्बर मे सर्द रातों की तरह
करनी है तुम से कुछ अनकही सी बातें ।