अधूरी है जिन्दगी
अपनों की यादोँ सेे भरी है*
जिंदगी
सुख और दुःख कि पहेली है
जिंदगी
कभी अकेले बैठ कर
विचार कर तो देखो
मौत के बगैर अधूरी है जिंदगी✍?
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
अपनों की यादोँ सेे भरी है*
जिंदगी
सुख और दुःख कि पहेली है
जिंदगी
कभी अकेले बैठ कर
विचार कर तो देखो
मौत के बगैर अधूरी है जिंदगी✍?
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल