अधूरी मोहब्बत
किन्नर समुदाय में एक युवा थी, जिसका नाम था इमली। उसकी उम्र 25 के आसपास थी, और वह अपने समुदाय के अन्य सदस्यों से अलग थी। उसकी आँखों में एक अलग चमक थी, मानो उसके अंदर कोई अनकही कहानी छिपी हो। उसने बचपन से ही अपमान, तिरस्कार, और समाज की बेरुखी को झेला था। लेकिन उसके दिल में कहीं एक कोमल भावना थी, जो उसे बाकी सबसे अलग बनाती थी।
शहर के उसी मोहल्ले में अमर नाम का एक लड़का रहता था। वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से था और अभी-अभी अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर घर लौटा था। उसकी माँ की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वह गाँव में ही रहकर एक छोटी सी नौकरी कर रहा था।
अमर ने एक दिन देखा कि इमली मंदिर के बाहर बैठी थी। वह हमेशा की तरह अपनी चूड़ियों और फूलों की टोकरी लिए, लोगों से कुछ पैसे मांग रही थी। लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था, जिसने अमर का ध्यान खींचा। अमर ने उसके पास जाकर उससे फूल खरीदे। इमली ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराई। यह पहली बार था जब किसी ने उसे बिना किसी तिरस्कार के देखा था। अमर की आँखों में भी एक अलग तरह की गरिमा और आदर था।
इसके बाद, अमर और इमली की मुलाकातें बढ़ने लगीं। अमर मंदिर में नियमित रूप से आता और इमली से बातें करता। इमली को महसूस हुआ कि अमर उसे एक इंसान के रूप में देखता है, न कि केवल एक किन्नर के रूप में। वह उसे अपनी कहानी बताती, और अमर उसकी बातों को ध्यान से सुनता।
धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी होती गई। इमली अमर को अपने जीवन की छोटी-छोटी खुशियों और दुखों के बारे में बताती, और अमर उसे समझने की कोशिश करता। एक दिन इमली ने अमर से कहा, “अमर, तुम अकेले हो? तुम्हारे कोई दोस्त नहीं हैं?”
अमर ने हंसते हुए कहा, “दोस्त तो हैं, पर वे सब शहर में हैं। यहाँ तो तुम हो, इमली। तुमसे बात करके लगता है कि मैं अपने सबसे अच्छे दोस्त से बात कर रहा हूँ।”
इमली का दिल यह सुनकर पिघल गया। उसे पहली बार लगा कि वह भी किसी के लिए मायने रखती है।
समय बीतता गया, और अमर और इमली की दोस्ती ने धीरे-धीरे एक नए रंग को लेना शुरू किया। दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताने लगे, और उनकी बातचीत में एक अनकही नजदीकी आ गई।
एक दिन, इमली ने अमर से कहा, “अमर, क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है?”
अमर ने थोड़ी देर सोचा, फिर उसने कहा, “नहीं, इमली। लेकिन अगर किसी से प्यार हुआ तो वह तुम जैसी ही होगी, जो दिल से सुंदर हो।”
इमली की आँखों में आँसू आ गए। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई उसकी इतनी इज्जत कर सकता है। लेकिन उसे पता था कि समाज उनके रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेगा।
अमर के घरवालों और मोहल्ले के लोगों को धीरे-धीरे उनकी दोस्ती की भनक लगने लगी। वे इस बात से बेहद नाराज़ थे कि अमर एक किन्नर के साथ इतना समय बिता रहा है।
एक दिन अमर के पिता ने उसे बुलाकर कहा, “तुम्हें शर्म नहीं आती? लोग क्या कहेंगे? एक किन्नर के साथ दोस्ती कर ली है तुमने। इसे तुरंत खत्म करो।”
अमर ने अपने पिता से कहा, “पापा, इमली सिर्फ एक किन्नर नहीं है। वह एक इंसान है, और उसने कभी किसी का बुरा नहीं किया। मैं उसे छोड़ नहीं सकता।”
पिता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। “अगर तुमने उस से मिलना बंद नहीं किया, तो तुम्हें इस घर से निकाल दूँगा।”
अमर और इमली के लिए यह समय बेहद कठिन था। वे जानते थे कि उनका साथ रहना समाज के लिए अस्वीकार्य था। लेकिन वे एक-दूसरे को छोड़ भी नहीं सकते थे।
एक रात, इमली ने अमर से मिलने का फैसला किया। वह उसे बताना चाहती थी कि वह उससे कितना प्यार करती है, लेकिन उसे यह भी पता था कि यह प्रेम कभी पूरा नहीं हो सकता।
जब वे मिले, इमली ने अमर से कहा, “अमर, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन हमें अब यह रिश्ता खत्म करना होगा। यह समाज हमें कभी नहीं अपनाएगा।”
अमर की आँखों में आँसू आ गए। उसने इमली के हाथों को पकड़कर कहा, “इमली, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता। लेकिन अगर तुम्हें यह सही लगता है, तो मैं तुम्हारी बात मानता हूँ।”
इमली ने उसे गले से लगा लिया और रोने लगी। वे दोनों जानते थे कि यह आखिरी मुलाकात थी।
अमर और इमली ने एक-दूसरे से वादा किया कि वे हमेशा एक-दूसरे को याद करेंगे, चाहे वे साथ रहें या न रहें।
इमली ने अगले दिन मोहल्ला छोड़ दिया। वह जानती थी कि उसकी उपस्थिति से अमर की जिंदगी और भी मुश्किल हो जाएगी। उसने अमर के लिए एक पत्र छोड़ा, जिसमें उसने लिखा था, “तुम मेरे दिल में हमेशा रहोगे। मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगी। लेकिन अब हमें अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना होगा।”
अमर ने वह पत्र पढ़ा और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। वह जानता था कि उसने अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया है।
इमली ने नए शहर में जाकर अपनी जिंदगी फिर से शुरू करने की कोशिश की, लेकिन अमर की यादें उसे कभी चैन से नहीं जीने देती थीं। वह अक्सर रातों को जागकर आसमान की ओर देखती और अमर की बातें याद करती।
कई सालों बाद, अमर एक सफल इंजीनियर बन गया था। उसकी शादी हो चुकी थी, लेकिन उसके दिल में इमली की यादें अब भी ताज़ा थीं।
एक दिन अमर कहीं बाहर घूमने गया था । उसने देखा कि सड़क के बीचों बीच काफी भीड़ लगी थी । ऐसा लग रहा था कि वहाँ किसी का एक्सीडेंट हो गया था । भीड़ में किन्नर समुदाय की संख्या ज्यादा थी। गाड़ी से उतरकर अमर भीड़ को चीरता हुआ एक्सीडेंट की जगह पहुँचा और देखा कि एक किन्नर खून से लथपथ सड़क पर पड़ी थी। उसकी साँसे अभी भी चल रही थी ऐसा लग रहा था कि उसकी साँसे किसी का इंतजार कर रही हैं । अमर उस किन्नर की तरफ गौर से देखा तो उसकी आँखों से आँसू बह निकले। वह किन्नर कोई और नहीं उसकी अपनी इमली थी।
इमली ने इतने वर्षों बाद और अंतिम समय में अमर को अपने पास देखा तो उसकी आँखों में वही पुरानी चमक लौट आई। उसने अमर के हाथों को पकड़ लिया और कहा, “अमर, तुम अब भी मुझसे प्यार करते हो?”
अमर ने उसे गले से लगा लिया और कहा, “इमली, मैंने तुमसे कभी प्यार करना बंद नहीं किया। तुम मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा हो।“
इमली की आँखों में संतोष का भाव था। उसने धीरे से अमर के कंधे पर सिर रख दिया और आखिरी साँस ली। वहाँ उपस्थित सभी की आँखें नम थी।
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