अधूरी मोहब्बत
सूनी सूनी अंखियों से
बूँद बूँद झलकता रहा
रात भर बारिश के साथ
दर्द सीने से निकलता रहा
साथ दिया एक गुलदस्ते ने हमारा
आशियाँ में मेरे वही सुलगता रहा
आज चाँद भी मुरझाया था
शायद उसकी खूबसूरती पर,
कोई हसता रहा
मोहब्बत प्यासी रही उनकी गलियों में
एक मजनू उनके दीदार को तरसता रहा
… भंडारी लोकेश✍️