अधूरा श्रृंगार
हाथ सने थे मिट्टी में,
फूल बिखरे थे हरसिंगार,
पांव में पायल, मन से घायल,
ना कंगन, ना गले में हार।
छूट गई मेहंदी हाथों से,
पकड़ लिया है औजार।
तन्हा जीना सीख लिया,
अधूरा रहा मेरा श्रृंगार।
✍️
अमित तिवारी
हाथ सने थे मिट्टी में,
फूल बिखरे थे हरसिंगार,
पांव में पायल, मन से घायल,
ना कंगन, ना गले में हार।
छूट गई मेहंदी हाथों से,
पकड़ लिया है औजार।
तन्हा जीना सीख लिया,
अधूरा रहा मेरा श्रृंगार।
✍️
अमित तिवारी