“||अधूरा इश्क़ 2 ||”
“क्यूँ ख़ामोशी सी छा जाती है
क्यूँ तनहा सा हो जाता हूँ
कभी प्यार में पागल होता हूँ
तो कभी पागल प्रेमी हो जाता हूँ ,
देख तुझे तस्वीरों में
सपनों में तेरे खो जाता हूँ
पाने की एक झलक में तेरे
खुद से तनहा हो जाता हूँ ,
बहती इन फिजाओं में
खुशबू तेरी ही बसती है
है दूर तू मुझसे आज भले
हर एहसास में तू मेरे रहती है ,
बनके शोला दहकती है दिल में
जलती है आखों में चिंगारी सी तू
तू है ख्वाब मेरा और मंजिल मेरी
फिर क्यूँ अधूरी सी लगती है तू ,
जब भी सोचु मै पास तुझे
दूर ही मुझसे तू लगती है
देखू जो तुझे जीवन में
तो गैरों सी तू क्यूँ लगती है ,
छोड़ मुकद्दर पे देता मै
काश ये फैसला मेरा होता
मांगता हर पल खुशियों में
काश जो एक पल तू मेरा होता ||”