अधिकार
बात करते हो जब अधिकार की,
दिया किस ने है अधिकार नारी को।
किया छलनी उस के आत्म-सम्मान को,
किया हनन हमेशा ही उस के अधिकार को।
बात करो जब नेताओ की,बिना लिए ही
ले लिए उन लोगो ने सारे अधिकार जनता के।
छीन लिया देश का सुकून और चैन सारा
कर दिया पतीत और हिन् सा जनता को
बात करो अब सैनिकों की भी तो जरा,
मिला है अधिकार गोली खाने का ही,
शहीद हो देश पर,मिलेगा सम्मान मरणोपरांत
मिलेगे फिर नमन में सलामी भी तोपो की।
जीती ते जी तो नही अधिकार ,किसी को
सच की राह पर ले जाये,दे पलटवार
सबक सच्चा सीखलाये, ताकि जो
भटक गये पथ से उन को पथ पर ले आये।।
नमन संध्या उन वीरो को जिनको नही
मिलता कोई सम्मान,क्या उन के प्राण
की कीमत कम है,उच्चस्तर के सैनिकों से
घर उन के भी रोटी तो छिनती है,
माँ उस की भी सौ सौ आँसू रोती है,
अर्धनगिनी उस की भी सुहाग खोती है।।
संध्या चतुर्वेदी
मथुरा यूपी