Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2016 · 1 min read

अधजले दीये की लौ से.…

अधजले दीये की लौ से.…
*********************
अधजले दीये की लौ से,
जल उठा पवन,
और आया..एक झौंका बन ।
रच दिया चक्रव्यूह,
कहने लगा मौन बन,
…. हट जा पथ से !

पर नही,….
नहीं हटूंगा मैं इस पथ से,
मैं रक्षक हूँ इस लौ का,
इसे जलाया है मैंने किसी की याद में प्रेमाकुल होकर,
और जी रहा हूँ.. इसी के सहारे, इस तम-गर्त में ।

एकाएक ……..
न जाने कौन सा ख़याल उसका,
एक बूँद बन टपक पडा उस लौ पर,
मेरी ही आँख से,
और…….
दीया वीरान हो चला ।

****************************
** हरीश**चन्द्र**लोहुमी**
*****************************

Language: Hindi
6 Comments · 634 Views

You may also like these posts

गंगा अवतरण
गंगा अवतरण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
3135.*पूर्णिका*
3135.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फेसबुक पर समस्या मूलक मित्रों की बाढ़-सी आ गयी है (जैसे यह रि
फेसबुक पर समस्या मूलक मित्रों की बाढ़-सी आ गयी है (जैसे यह रि
गुमनाम 'बाबा'
हुस्न छलक जाता है ........
हुस्न छलक जाता है ........
Ghanshyam Poddar
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
** हूं रूख मरुधरा रो **
** हूं रूख मरुधरा रो **
भूरचन्द जयपाल
आखिर क्या है दुनिया
आखिर क्या है दुनिया
Dr. Kishan tandon kranti
मंजिल तक पहुँचाना प्रिये
मंजिल तक पहुँचाना प्रिये
Pratibha Pandey
*आजादी की राखी*
*आजादी की राखी*
Shashi kala vyas
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
Kanchan Khanna
मौन संवाद
मौन संवाद
Ramswaroop Dinkar
जिस क्षण का
जिस क्षण का
Chitra Bisht
आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
कवि रमेशराज
मसला
मसला
निकेश कुमार ठाकुर
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
पूर्वार्थ
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
gurudeenverma198
नमन ऐ दिव्य मानव
नमन ऐ दिव्य मानव
आकाश महेशपुरी
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
Rj Anand Prajapati
अनंत शून्य
अनंत शून्य
Shekhar Deshmukh
..
..
*प्रणय*
बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय
बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय
Vijay kumar Pandey
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अजीब सी बेताबी है
अजीब सी बेताबी है
शेखर सिंह
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
Ravi Prakash
दिल में खिला ये जबसे मुहब्बत का फूल है
दिल में खिला ये जबसे मुहब्बत का फूल है
Dr Archana Gupta
जानां कभी तो मेरे हाल भी पूछ लिया करो,
जानां कभी तो मेरे हाल भी पूछ लिया करो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भिड़ी की तरकारी
भिड़ी की तरकारी
Pooja srijan
शब्द की महिमा
शब्द की महिमा
ललकार भारद्वाज
Loading...