अधखिला फूल निहार रहा है
अधखिला फूल निहार रहा है
जीवन को जैसे निखार रहा है
जीवन को जैसे……..
सवेरा हुआ जब लगा लहराने
कलियों के संग लगा मुस्कुराने
ख्वाबों को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे……..
भंवंरो ने आकर गीत सुनाए
तितलियों ने भी रंग बिखराए
चाहत को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे………
घनघोर घटाएं दामन फैलाए
फूलों के मन को और हर्षाए
उमंग नई दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे……….
कल को जब चलेगी पूर्वाई
यौवन की मैं लूंगा अंगड़ाई
सपनों को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे……….
तोड़ लेंगे फूल बनते ही कैसे
रात ने कहा अरे न इतरा ऐसे
खयाल क्यों दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे………..
V9द सच्च हुआ आज कहना
उसे तोड़कर बना लिया गहना
सच्चाई को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे………..