Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2023 · 1 min read

अधखिला फूल निहार रहा है

अधखिला फूल निहार रहा है
जीवन को जैसे निखार रहा है
जीवन को जैसे……..
सवेरा हुआ जब लगा लहराने
कलियों के संग लगा मुस्कुराने
ख्वाबों को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे……..
भंवंरो ने आकर गीत सुनाए
तितलियों ने भी रंग बिखराए
चाहत को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे………
घनघोर घटाएं दामन फैलाए
फूलों के मन को और हर्षाए
उमंग नई दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे……….
कल को जब चलेगी पूर्वाई
यौवन की मैं लूंगा अंगड़ाई
सपनों को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे……….
तोड़ लेंगे फूल बनते ही कैसे
रात ने कहा अरे न इतरा ऐसे
खयाल क्यों दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे………..
V9द सच्च हुआ आज कहना
उसे तोड़कर बना लिया गहना
सच्चाई को दिल में उतार रहा है
जीवन को जैसे………..

2 Likes · 279 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VINOD CHAUHAN
View all
You may also like:
ईश्वर का प्रेम उपहार , वह है परिवार
ईश्वर का प्रेम उपहार , वह है परिवार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
gurudeenverma198
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
Piyush Goel
3545.💐 *पूर्णिका* 💐
3545.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"जस्टिस"
Dr. Kishan tandon kranti
धिक्कार
धिक्कार
Dr. Mulla Adam Ali
अपने वजूद की
अपने वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
🙅चलो रायबरेली🙅
🙅चलो रायबरेली🙅
*प्रणय*
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
आर.एस. 'प्रीतम'
నమో గణేశ
నమో గణేశ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
फूल चुन रही है
फूल चुन रही है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
आक्रोश - कहानी
आक्रोश - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बेटियां
बेटियां
Surinder blackpen
नाइजीरिया
नाइजीरिया
Shashi Mahajan
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
Mukesh Kumar Sonkar
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
Ritu Asooja
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
* मन बसेगा नहीं *
* मन बसेगा नहीं *
surenderpal vaidya
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
'अहसास' आज कहते हैं
'अहसास' आज कहते हैं
Meera Thakur
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
shabina. Naaz
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
शेखर सिंह
***होली के व्यंजन***
***होली के व्यंजन***
Kavita Chouhan
झिङककर हाथ समुंदर का
झिङककर हाथ समुंदर का
Chitra Bisht
बस तुम हो और परछाई तुम्हारी, फिर भी जीना पड़ता है
बस तुम हो और परछाई तुम्हारी, फिर भी जीना पड़ता है
पूर्वार्थ
अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार
Dr. Rajeev Jain
जज्बात
जज्बात
अखिलेश 'अखिल'
मानवता का शत्रु आतंकवाद हैं
मानवता का शत्रु आतंकवाद हैं
Raju Gajbhiye
कौन हूं मैं?
कौन हूं मैं?
Rachana
Loading...