अदाकारी
अतुकांत कविता
अदाकारी सीखकर
अदाकार बन गए
कलम के सिपाही
फनकार बन गए
लहराती ज़ुल्फों में
अब उड़ती है ग़ज़ल
गीतों के कमरों में
रोशनदान हो गए
मानते थे पहले जो
लिखना कमाल था
बाजार में सब हुजूर
औजार आ गए।।।
प्रस्तुति की ये अदाएं
क्या जनाब सुनिए
बादलों के झुंड की
आप चाल देखिए।।
लिखते रहो आप भी
नितांत सुख आपका
तालियां तो इधर हैं
क्या तुम्हारा वास्ता।।
सूर्यकांत