अदब में रहें
अदब में रहकर सब अदब से पेश आयें
मदद की बात हो सब मदद करें करायें
मानवता की सरहदी अदब में रहकर
हम सब इंसानियत को पालें औ बचायें
जात- पाँत ऊँच-नीच का बंधन तोड़कर
पूरी की पूरी वसुधा को कुटुम्ब बनाये
मज़हबी ताकतों को हावी न होने दें कभी
प्यार से रह इक-दूजे को सब गले लगायें
भारतीयता सद्भाव समरसता सिखाती है
गंगा-जमुनी तहज़ीब को फिर सारे अपनायें
जीत देश की हो खुशियाँ आँख समायें
हर भारतवासी विश्व विजयी तिरंगा गायें
देशप्रेम अद्वितीय अनुपम होता उपहार है
आओ कुछ करें “निश्छल”देश का नाम करायें
©अनिल कुमार निश्छल