अतिथि की तरह जीवन में
अतिथि की तरह जीवन में
दुख सुख की बयार आती है
एक के बाद ही एक सही
पतझड़ तो कभी बहार आती है
प्रकृति का यह अटल सत्य है।
तपती गर्मी के बाद ही तो
सावन की शीतल फुहार आती है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
अतिथि की तरह जीवन में
दुख सुख की बयार आती है
एक के बाद ही एक सही
पतझड़ तो कभी बहार आती है
प्रकृति का यह अटल सत्य है।
तपती गर्मी के बाद ही तो
सावन की शीतल फुहार आती है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’