*अज्ञानी की कलम*
अज्ञानी की कलम
छै:ऋतुएं मौसम की होती है।
क्या रात की रानी सोती है।।
नेकी को नज़र अंदाज़ करते।
स्वार्थी घृतराष्ट हुआ करते है।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•
अज्ञानी की कलम
छै:ऋतुएं मौसम की होती है।
क्या रात की रानी सोती है।।
नेकी को नज़र अंदाज़ करते।
स्वार्थी घृतराष्ट हुआ करते है।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•