अजीब रिश्ते
जग में रिश्ते कितने सारे,
कुछ झूठे हैं, कुछ सच्चे हैं,
ईर्ष्या द्वेष भरा किसी में,
कुछ प्यारे और अच्छे हैं।
निस्वार्थ भाव भरा किसी में,
कुछ स्वार्थ के रंग में पक्के हैं,
अपनापन दिखता किसी में,
कुछ अपने बनकर देते धक्के हैं।
पीठ पर वार किया किसी ने,
कुछ चोट पर मरहम जैसे हैं,
रिश्तों में वफ़ा निभाई किसी ने,
कुछ रिश्ते ऐसे और वैसे हैं।
हर रिश्ते की अपनी कहानी,
कुछ अपनी,कुछ लगे पराई हैं,
मधुरता का अहसास कराती कुछ,
किसी ने रातों की नींद उड़ाई है।
By:Dr Swati Gupta