Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2024 · 1 min read

अज़ीयत को

तो इस दिल में कहने को
कुछ भी न होता,
अज़ीयत को दिल की अगर
हम समझते।
डॉ० फ़ौज़िया नसीम ‘शाद’

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
क्या कहूँ ?
क्या कहूँ ?
Niharika Verma
सवाल
सवाल
Manisha Manjari
दोहा छंद ! सावन बरसा झूम के ,
दोहा छंद ! सावन बरसा झूम के ,
Neelofar Khan
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
Dr fauzia Naseem shad
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
बिटिया !
बिटिया !
Sangeeta Beniwal
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
कवि दीपक बवेजा
शक्तिशाली
शक्तिशाली
Raju Gajbhiye
धर्मराज
धर्मराज
Vijay Nagar
पढ़ने को आतुर है,
पढ़ने को आतुर है,
Mahender Singh
"भौतिकी"
Dr. Kishan tandon kranti
महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
महफिल में तनहा जले, खूब हुए बदनाम ।
sushil sarna
मेरे अंदर भी इक अमृता है
मेरे अंदर भी इक अमृता है
Shweta Soni
Gatha ek naari ki
Gatha ek naari ki
Sonia Yadav
नज़र
नज़र
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
Adha Deshwal
तुम ही कहती हो न,
तुम ही कहती हो न,
पूर्वार्थ
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
हास्य कुंडलिया
हास्य कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
पितृपक्ष में पितरों का महत्व होता हैं।
पितृपक्ष में पितरों का महत्व होता हैं।
Neeraj Agarwal
*********** एक मुक्तक *************
*********** एक मुक्तक *************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गीतिका :- हमें सताने वाले
गीतिका :- हमें सताने वाले
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
पंकज परिंदा
जुएं में अर्जित धन जुएं से और धन कमाने की आकांक्षा में लोग अ
जुएं में अर्जित धन जुएं से और धन कमाने की आकांक्षा में लोग अ
Rj Anand Prajapati
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
सत्य कुमार प्रेमी
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3598.💐 *पूर्णिका* 💐
3598.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दो लॉयर अति वीर
दो लॉयर अति वीर
AJAY AMITABH SUMAN
गमले में पेंड़
गमले में पेंड़
Mohan Pandey
Loading...