अजय
अभिमन्यु हर युग में आया, और दिलों पर सबके छाया।
मेरे भी घर में आया था, पर क्यों मैं यह समझ ना पाया।।
हरेक कला का ज्ञाता था, जब वो इस धरती पर आया।
लेकिन शायद घर में कोई, इस रहस्य को समझ ना पाया।।
हरेक कार्य की जल्दी उसको, समय से पहले सब निपटाया।
सोच समझ कर कार्य किया कर, कितनी बार उसे समझाया ।।
उसे पता था कार्य बहुत हैं, समय नहीं वह इतना लाया।
इसीलिए हर कार्य को उसने,समय से पहले ही निपटाया।।
जो कुछ भी करने की ठानी, वह सब उसने कर दिखलाया।
नाम ही नहीं काम से भी अजय,बस यह अंदाज़ मुझे था भाया।।
विजय बिजनौरी