*अजब है उसकी माया*
काया सुलगत आग-सी, नीर भरे हैं नैन।
तड़पत है इक मीन-सी, मौन हुए हैं बैन।।
मौन हुए हैं बैन, चैन क्यों तनिक न आया?
मन में रहे सदैव, किसलिए तम का साया?
कलि-कलि को ले चूम, अजब है उसकी माया,
कह ‘पूनम’ चित लाय, भिन्न क्यूँ उसकी काया?