अजब-गजब नट भील से, इस जीवन के रूप
अजब-गजब नट भील से, इस जीवन के रूप
पेट कराये खेल सब, करतब सभी अनूप
करतब सभी अनूप, बजा जमूरे डुगडुगी
खेल मदारी देख, मचे रगों में झुरझुरी
महावीर कविराय, सपेरा क्यों रोये तब
न मिलें पैंसे चार, दिखाऊं मैं खेल अजब
महावीर उत्तरांचली