“अजनवी”
दुनिया कहती है,
अजनबी तुम हो,
अजनबी,
मेरी सांसे तुम हो।
दिल को कोई और,
बाँध नहीं पाया,
ख्वाहिश मेरी ,
आज भी तुम हो।
दिल की,
चाहत तुम हो,
हर कदम पर ,
ताकत तुम हो,
मिलना तक़दीर में ,
है या नहीं ,
दिल ढूंढता है,
हर मोड़ पर ,
शायद वही,
तलाश तुम हो।
हिस्सेदार बना लो ,
अपने गमों में ,
तुम अकेले हो ,
और उदास बहुत हो।
अजनबी ,
मेरी सांसे तुम हो।
” सुनील पासवान”
: कुशीनगर:
: 31/01/2022: