Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2024 · 1 min read

अछूत

कब हुआ होगा पहली बार ऐसा
जब अछूत कहलाया,स्त्री का स्त्रीत्व
वही स्त्रीत्व जिससे
जन्मता है पुरूष भी…
फिर क्यों नहीं अछूत हुआ वो पुरूष भी
जो जन्मा है उसी से
उसी अछूत सी कोख में पली बढ़ी है
देह उसकी भी,
माह के वो पाँच दिन
कैसे अभिशाप हो जाते हैं
कि शबरीमाला और सिंगनापुर
जैसे किसी और लोक में स्थित हो जाते हैं
अयप्पा जन्मे थे शिव और मोहिनी से
मोहिनी रूप धारण किया विष्णु ने
तभी सक्षम हो सके जन्म देने में
अगर अछूत है स्त्रीत्व तो
क्यों धरा रूप अछूता का?
अपने पुरुषत्व को त्यागकर
हीनता को अपनाकर…. अशुद्ध होकर
क्यों जन्मा ऐसा ईश्वर जो
पहले ही पक्षपाती हो गया
अपनी जन्मना जाति के प्रति
उसे तो जन्मना चाहिए था उससे
जो अछूत न हो, शुद्ध हो।
और स्त्रीत्व भी क्यों बेताब हो
ऐसे ईश्वर के दर्शन को..
क्या मिलेगा?
कभी पूछ ले खुद से कि
हम क्यों आतुर हैं उसके दर्शन को?
अगर स्त्रीत्व सीमित है अछूत है
तो ईश्वरत्व भी तो है उसी सीमा से बंधा…

1 Like · 108 Views

You may also like these posts

जलते हुए चूल्हों को कब तक अकेले देखेंगे हम,
जलते हुए चूल्हों को कब तक अकेले देखेंगे हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिखाकर  स्वप्न  सुन्दर  एक  पल में  तोड़ जाते हो
दिखाकर स्वप्न सुन्दर एक पल में तोड़ जाते हो
Dr Archana Gupta
आजादी
आजादी
नूरफातिमा खातून नूरी
अपना सपना
अपना सपना
Shashi Mahajan
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
Sampada
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
बे सबब तिश्नगी.., कहाँ जाऊँ..?
पंकज परिंदा
तुम्हारे इश्क़ में इस कदर खोई,
तुम्हारे इश्क़ में इस कदर खोई,
लक्ष्मी सिंह
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
ग्रन्थ
ग्रन्थ
Satish Srijan
उड़ान ऐसी भरो की हौसलों की मिसाल दी जाए।।
उड़ान ऐसी भरो की हौसलों की मिसाल दी जाए।।
Lokesh Sharma
*दादू के पत्र*
*दादू के पत्र*
Ravi Prakash
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
Shweta Soni
"तब तुम क्या करती"
Lohit Tamta
कर्म ही पूजा है ।
कर्म ही पूजा है ।
Diwakar Mahto
जीवन एक संघर्ष ही तो है
जीवन एक संघर्ष ही तो है
Ajit Kumar "Karn"
शीर्षक-आया जमाना नौकरी का
शीर्षक-आया जमाना नौकरी का
Vibha Jain
শিবকে নিয়ে লেখা গান
শিবকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
"उम्मीद की किरण" (Ray of Hope):
Dhananjay Kumar
मैं तुझ सा कोई ढूंढती रही
मैं तुझ सा कोई ढूंढती रही
Chitra Bisht
शहर और गाँव
शहर और गाँव
Sakhi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सहगामिनी
सहगामिनी
Deepesh Dwivedi
बचपन याद बहुत आता है
बचपन याद बहुत आता है
VINOD CHAUHAN
"पंचतंत्र" में
*प्रणय*
3080.*पूर्णिका*
3080.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धक धक धड़की धड़कनें,
धक धक धड़की धड़कनें,
sushil sarna
"आरजू"
Dr. Kishan tandon kranti
कागज़ की आज़ादी
कागज़ की आज़ादी
Shekhar Chandra Mitra
Loading...