अच्छों की संगति करिए
अच्छों की संगति करिए
निज घर का निज हाथ से , बंद करें हम द्वार
बिन अपने मत के न हों , भीतर कोई पार
भीतर कोई पार , न हो कपटी या दंभी
पाकर जिसका संग , दुष्ट बन सकें न हम भी
करना उत्तम कार्य , लक्ष्य है जिस जिस नर का
उसको देख कपाट , खोल दें हम निज घर का