Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2022 · 1 min read

*अच्छे-भले जी रहे थे, पर सहसा कटु संवाद हो गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*

अच्छे-भले जी रहे थे, पर सहसा कटु संवाद हो गया (हिंदी गजल/ गीतिका)
_________________________
1
अच्छे-भले जी रहे थे, पर सहसा कटु संवाद हो गया
थाने और कचहरी का, फिर कोना-कोना याद हो गया
2
दुख को ही पकड़े रहे, रात-दिन गुमसुम बैठे-बैठे जब
बढ़ता रहा तनाव, एक दिन फिर भीषण अवसाद हो गया
3
सुधबुध जब हमने नहीं तनिक, ली पुस्तक-दस्तावेजों की
भरा हुआ भंडार कीमती, एक दिवस सब खाद हो गया
4
अच्छे जब लोग मिले, इस जग में छाया हर्ष अपरिमित
बुरे व्यक्तियों के मिलने से, मुॅंह का कड़वा स्वाद हो गया
5
अच्छे या बुरे संग का फल, सब को ही चखना पड़ता है
अच्छों से आनंद, बुरों से जीवन सब बर्बाद हो गया
6
धन-संपदा और पद-पदवी, दोनों के ही घर आई थी
सज्जन रहा नम्र ही लेकिन, दुर्जन को उन्माद हो गया
________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 255 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
फूल बन खुशबू बिखेरो तो कोई बात बने
फूल बन खुशबू बिखेरो तो कोई बात बने
इंजी. संजय श्रीवास्तव
sp130 पुरस्कार सम्मान
sp130 पुरस्कार सम्मान
Manoj Shrivastava
#futuretechinnovative
#futuretechinnovative
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लक्ष्य या मन, एक के पीछे भागना है।
लक्ष्य या मन, एक के पीछे भागना है।
Sanjay ' शून्य'
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
महिला शक्ति
महिला शक्ति
कार्तिक नितिन शर्मा
मिट्टी से मिट्टी तक का सफ़र
मिट्टी से मिट्टी तक का सफ़र
Rekha khichi
आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल
पूर्वार्थ
इक तमन्ना थी
इक तमन्ना थी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम कहते हो कि ज़माना अच्छा नहीं
तुम कहते हो कि ज़माना अच्छा नहीं
Jyoti Roshni
मां जैसा ज्ञान देते
मां जैसा ज्ञान देते
Harminder Kaur
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
Ravi Prakash
*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*
*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पिता
पिता
Swami Ganganiya
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
Dr Archana Gupta
3330.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3330.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
नारी शक्ति वंदन
नारी शक्ति वंदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
"सोचता हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
कोई चाहे तो पता पाए, मेरे दिल का भी
कोई चाहे तो पता पाए, मेरे दिल का भी
Shweta Soni
*** अहसास...!!! ***
*** अहसास...!!! ***
VEDANTA PATEL
◆हरे-भरे रहने के लिए ज़रूरी है जड़ से जुड़े रहना।
◆हरे-भरे रहने के लिए ज़रूरी है जड़ से जुड़े रहना।
*प्रणय*
झाड़ू अउरी बेलन
झाड़ू अउरी बेलन
आकाश महेशपुरी
काया   की   प्राचीर  में,
काया की प्राचीर में,
sushil sarna
मैं भारत हूं मैं, भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं।
मैं भारत हूं मैं, भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं।
अनुराग दीक्षित
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
किसी भी चीज़ की ख़ातिर गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की ख़ातिर गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
राजकुमारी कार्विका
राजकुमारी कार्विका
Anil chobisa
जिसके हर खेल निराले हैं
जिसके हर खेल निराले हैं
Monika Arora
तिरस्कार के बीज
तिरस्कार के बीज
RAMESH SHARMA
Loading...