अच्छी नहीं लगती
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!( गज़ल )!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
मुहब्बत में जुदा परछाइयां अच्छी नहीं लगती
किसी के इश्क में बदनामियां अच्छी नहीं लगती
बड़ी मुश्किल से आती है घड़ी जब ये मुहब्बत की
अंधेरों में चमकती बिजलियां अच्छी नहीं लगती
कोई रोके…. कोई टोके…. नहीं मंजूर ये हमको
मुहब्बत में कभी पाबंदियां अच्छी नहीं लगती
हमें उम्मीद है तुमसे वफ़ा तुम भी निभाओगे
वफा के नाम हारी बाजियां अच्छी नहीं लगती
तुम्हारा साथ है गर तो “ख़ुदा” का डर नहीं ” गौतम”
तुम्हारे पास रह कर दूरियां अच्छी नहीं लगती
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” गौतम जैन “