अचानक ज़िन्दगी में कभी –
अचानक ज़िन्दगी में कभी –
अचानक ज़िन्दगी में कभी,
एक अन्जान सा शख्स आता है…
जो दोस्त भी नहीं, हमसफ़र भी नही,
फिर भी दिल को बहुत बहुत भाता है
ढेरों बाते होती हैं उस से,
हज़ारों दुख सुख भी बंटते हैं,
जो बातें किसी से नहीं करते थे,
वो भी हम उस से करते हैं
है तो वो अनजाना सा,
पर दिल को बहुत वो,
जाना पहचाना सा लगता है …
कोई रिश्ता नहीं है उससे,
फिर भी उसकी हर बात
मानने का दिल करता है….
कोई हक नहीं है उस पर हमारा
फिर भी उस पर हक जताना
हमको अच्छा लगता है ..
जब कुछ भी सुनने का मन ना हो तब भी,
उसको सुनना अच्छा लगता है