अग्नि फेरा
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वैदिक मंत्रोच्चारण के संग
है साक्षी यह अग्नि पावन
पाणिग्रहण कर अग्नि फेरे
दो प्राण और एक हो जीवन।
सप्त पदी अग्नि के चहुंओर
बंधे गये दो तन-मन इक डोर
सप्त वचन सातों जन्मों तक
जोड़ें प्यार न कोई ओर छोर
अग्नि फेरे बांधे अटूट बंधन
विश्वास करे इसमें जन-जन।
अग्नि ऊष्मा जगाए अगन
नव युगल रहे प्रणय मगन ।
सुदृढ़ साक्ष्य यह अग्नि पुनीत
प्रगाढ़ बन्धन मन के मीत
हृदय एक दो तन आकृति।
जिसे पावन माने संस्कृति।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना