Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2020 · 5 min read

अग्निगर्भा

डॉ पन्त जी के ओपीडी में एक दिन एक महिला अपने पति को उन्हें दिखाने लाई थी जो पिछले डेढ़ माह से अक्सर उल्टियां कर रहा था । वह पिछले करीब दो दशक से नियमित रूप से शराब का सेवन किया करता था । डॉ पन्त जी ने उसकी हालत देखते हुए उसका परीक्षण करने के बाद उसे कुछ इलाज और जाचें लिखने के पश्चात उसको शराब का सेवन न करने की सलाह दी । इस पर वह बोली मैं कई बार इन्हें हर तरह से मनाने का प्रयास कर चुकी हूं पर ये शराब नहीं छोड़ते हैं । और यह कहकर वे दोनों डॉ पन्त जी के ओपीडी से बाहर चले गए । कुछ देर पश्चात वह महिला दोबारा लौट कर अकेले डॉ पन्त जी के कक्ष में आई और बोली डॉक्टर साहब मैं इनकी शराब छुड़वाने के लिये प्रतिदिन इनको बिना बताए इनके खाने में टेबलेट डाईसेल्फीराम ( salt ) की गोली मिला कर देती हूं , जिसका इन्हें पता नहीं है । उस गोली के असर में जब ये शराब पीते हैं तो इन्हें उल्टियां होती हैं और शराब इन्हें हज़म नहीं हो पाती है । यह बात मैं जानती हूं लेकिन इन्हें इसका नहीं पता है । यह सब मैं इनकी शराब छुड़वाने के लिए कर रही हूं कृपया यह बात इनको मत बताइये गा ।मैं हर कोशिश कर के थक गयी हूं , अब मैंने ठान लिया है या तो ये रहें गे या इनकी शराब , मैं यह गोली देना बंद नहीं करूं गी और अगर इसका पता इन्हें चल गया तो घर पर बहुत हिंसा पर उतर आयें गे और कुछ भी कर डालें गे अतः या तो इनकी शराब छूटे गी या फिर यह रहस्य मेरे जीवन के साथ ही जाए गा ।
=================
एक बार एक महिला डॉक्टर श्रीमती पन्त जी की ओपीडी में आई और बोली मुझे अपनी नसबंदी करवानी है , उसके साथ उसका पति भी मोटरसाइकिल पर आया था वह सीधा साधा व्यक्ति नज़र आ रहा था । अपनी नसबंदी के लिए आवश्यक कागज़ी कार्यवाही करवाने के लिए उसने अपने पति को कक्ष के अंदर बुलाया और उसकी सहमति दिलवाने के पश्चात वह उससे बोली जाओ अब तुम मोटरसाइकिल की सर्विसिंग करा कर ले आओ , यहां मुझे समय लगेगा । उसके पति के प्रतिरोध करने पर उसने उससे आदेशात्मक स्वरों में कहा इतने दिन से कह रही हूं मोटरसाइकिल की सर्विसिंग होनी है तुम अभी जाकर करा लाओ और शाम को मुझे यहां से ले लेना मैं यहीं आराम कर लूंगी ।डॉ श्रीमती पन्त जी के यह कहने पर कि उसे वह ऐसे समय में अपने से अलग नहीं भेजे । इस पर उसने कहा आप आराम से मेरी नसबंदी कर दीजिए , कृपया यह बात इनको मत बताइये गा । ये न समझें गे मेरी हालत । जीवन का यह रहस्य मेरे साथ ही जाये गा ।
=================
कुछ वर्ष पूर्व डॉक्टर पंत जी के पास एक करीब 22 वर्षीय लड़की बहुत कृशकाय हालत में दिखाने आई वह अत्यंत कमज़ोरी में हड्डियों एवं खाल का ढांचा रह गई थी । परीक्षण के उपरांत उसे बचपन से होने वाला मधुमेह का रोग निकला और उसके खून में शर्करा की मात्रा 600 से ऊपर थी । कुछ दिनों के लिए डॉक्टर पन्त जी ने उसे भर्ती कर उसका उपचार किया तथा भर्ती के दौरान उन्होंने उसे अपनी देखभाल के लिए शिक्षित और प्रशिक्षित भी किया और उसे एक ग्लूकोमीटर खरीदवा दिया ।छुट्टी होने के समय तक उसकी हालत में कुछ सुधार था ।उसकी मां नहीं थी और उसकी देखभाल उसका वृद्ध पिता किया करता था । बाद में काफी समय तक वह दिखाने आती रही । बीच बीच में उसका पिता उसके इंसुलिन पैन में भरी जाने वाली रिफिल उसके लिए खरीद कर ले जाता था और कभी-कभी वह फोन पर ही अपनी शुगर की मात्रा बताकर और लगने वाली इंसुलिन की मात्रा पंत जी से पूछ लिया करती थी । यह घटनाक्रम कुछ वर्षों तक चलता रहा , इस बीच उसकी हालत में काफी सुधार हो गया था और वह सामान्य महसूस करती थी और समय समय पर दिखाने भी आया करती थी । काफी दिनों बाद एक दिन वह अपने पति के साथ अपनी गोद में एक बच्चा लिये आई । सामान्य स्वस्थ मांसलता और मातृत्व की गरिमा से भरे उसके व्यक्तित्व को देख कर डॉक्टर पन्त जी को अब विश्वास नहीं हो पा रहा था कि ये वही पुरानी मधुमेह की रोगी है । अपने पति के बारे में परामर्श लेने के पश्चात वह परिवार डॉ पन्त जी के कक्ष से बाहर चला गया ।कुछ देर के बाद वो महिला डॉ पन्त के कक्ष में पुनः अकेले आई और बोली कि डॉक्टर साहब आपके बताये अनुसार मैं नियमित रूप से अपनी ससुराल में रह कर छुप छुप कर इन्सुलिन के इंजेक्शन ले रही हूं , लेकिन यह बात मैंने अपने पति को नहीं बताई है । आप भी कृपया इन्हें कभी मत बताइये गा कि मैं इंसुलिन लेती हूं ।अब मेरी ज़िंदगी का यह राज़ मेरे साथ ही दफ़न हो गा ।
===================
डॉक्टर पंत जी का सामना कभी-कभी अस्पताल में आकस्मिक चिकित्सक की ड्यूटी निभाते हुए किसी अधजली महिला से हो जाता था तथा वह मृत्यु से पूर्व किसी सक्षम अधिकारी के समक्ष अपना बयान देने के लिए चिकित्सीय दृष्टि से सक्षम है अथवा नहीं को प्रमाणित करना पड़ता था । अपने कार्यकाल के दौरान वे अनेक बार इस कार्य को कर चुके थे ।इस रसोई गैस के ज़माने में भी प्रायः महिलाएं अपने जलने का कारण दुर्घटना में मिट्टी के तेल के स्टोव फटने के कारण अपना जल जाना बतातीं थीं । एक बार पंत जी ने एक जली हुई महिला का बयान लेने आए सक्षम अधिकारी से जब यह पूछा कि ये मर्मान्तक पीड़ा झेल रहीं मरणासन्न अधजली महिलाएं अपनी इस अवस्था का कारण अक्सर स्टोव फटना ही क्यों बताती हैं , चाहे परिस्थिति जन्य साक्ष्य कुछ और ही दिखा रहे हों । इस पर उन्होंने ने कहा
‘ अरे साहब क्या करें जो ये कहतीं हैं वैसा हम लोग लिख लेते हैं । अक्सर ऐसी दुर्घटनाओं में जो अपराधी इन महिलाओं को जलाते हैं , वे उन्हें इस बात के लिए डराते धमकाते हैं कि अगर उस महिला ने उसको जलाने के लिए उत्तरदायी दोषियों में उनका नाम लिया तो वे उसके बच्चों का भी यही हाल करेंगे और इस भय को जानकर अपने बच्चों के ममत्व में चिपटी मरते दम तक ये उन दोषियों का नाम अपने भीतर छुपाए इस दुनियां से विदा ले लेती है ।और यह रहस्य हमेशा के लिये उनके साथ ही दफ़न हो जाता है । ‘

डॉ पन्त जी ने एक दिन इस प्रकार की घटनाओं में सर्वजन हिताय , अंतर्मन के अंतर्द्वन्द से संघर्ष करती नारी का जीवन के रहस्यमयी तथ्यों को इतनी गहराई तक सबसे छुपा कर रखने की इस असीम क्षमता की भौतिक वास्तविकता को समझते हुए उसे श्रद्धापूर्वक नाम दिया
‘ अग्निगर्भा ‘ ।

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हज़ारों साल
हज़ारों साल
abhishek rajak
जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
तुम्हें अकेले चलना होगा
तुम्हें अकेले चलना होगा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
बादल गरजते और बरसते हैं
बादल गरजते और बरसते हैं
Neeraj Agarwal
बना चाँद का उड़न खटोला
बना चाँद का उड़न खटोला
Vedha Singh
प्रयोग
प्रयोग
Dr fauzia Naseem shad
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
Harminder Kaur
सब अनहद है
सब अनहद है
Satish Srijan
*
*"जन्मदिन की शुभकामनायें"*
Shashi kala vyas
श्रम कम होने न देना _
श्रम कम होने न देना _
Rajesh vyas
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
अनिल कुमार
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
कवि रमेशराज
I am a little boy
I am a little boy
Rajan Sharma
23/118.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/118.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपनों की ठांव .....
अपनों की ठांव .....
Awadhesh Kumar Singh
कोशिस करो कि दोगले लोगों से
कोशिस करो कि दोगले लोगों से
Shankar N aanjna
तेरी वापसी के सवाल पर, ख़ामोशी भी खामोश हो जाती है।
तेरी वापसी के सवाल पर, ख़ामोशी भी खामोश हो जाती है।
Manisha Manjari
तू ठहर चांद हम आते हैं
तू ठहर चांद हम आते हैं
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
"तेरे बारे में"
Dr. Kishan tandon kranti
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
Ravi Prakash
पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
Acharya Rama Nand Mandal
दोहा मुक्तक -*
दोहा मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
न दोस्ती है किसी से न आशनाई है
Shivkumar Bilagrami
#Om
#Om
Ankita Patel
అతి బలవంత హనుమంత
అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
A Donkey and A Lady
A Donkey and A Lady
AJAY AMITABH SUMAN
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-278💐
💐प्रेम कौतुक-278💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...