अगले बरस मैं जल्दी आऊंगा
जल्दी सो जाओ मंकु बेटा, सुबह से जल्दी उठना है
कल जाएंगे गणपति बप्पा, काम बहुत से करना है
अभी अभी आए थे बप्पा, इतने जल्दी क्यों जाते हैं
कह दो मम्मी बप्पा से, कुछ दिन और यहीं रुक जाते हैं
नहीं रुकेंगे गणपति बेटा, वे 10 दिन को आते हैं
10 दिन अपने घर में रहकर, अपने घर को जाते हैं
बेचैन हुआ मंकू का मन, नींद उसे फिर न आई
पहुंच गया बप्पा के सम्मुख, आंखें उसकी भर आईं
इतनी रात गए मंकु तुम, क्यों सोते से आए हो
क्यों उदास हो गए हो तुम, क्यों आंखों में आंसू लाए हो
मंकू बोला गणपति बप्पा, सुबह आप घर जाओगे
सूना हो जाएगा घर, फिर एक बरस न आओगे
कितना अच्छा लगता है, जब से तुम घर में आए हो
मम्मी पापा दोस्त भी खुश हैं, कितनी खुशियां लाए हो
नया-नया प्रसाद तुम्हारा, रोज हमें मिल जाता है
सुबह शाम मंगल आरती का, आनंद कितना आता है
चुनचुन कलियां फूल और दूर्बा, रोज तुम्हें लाता था
ताजे ताजे फल और मेवा, तुमको रोज चढ़ाता था
मंकू बेटा आंसू पोंछो, रोते नहीं है जीवन में
मिलना और बिछड़ना, लगा हुआ है इस तन में
पल-पल समय गुजरता है, जाते दिन वर्ष महीने
मौसम सुख-दुख सभी बदलते, क्या रोका कभी किसी ने
अब पढ़ाई में लग जाओ, इस साल तुम अब्बल आना
मात पिता की सेवा करना, मुझको भूल न जाना
मुस्कुराओ अच्छे बच्चे हो, अब तुम कभी न रोना
जब भी दिल से याद करोगे, पास तुम्हारे हूं ना
निकल जाएगा 1 बरस, फिर मैं जल्दी से आऊंगा
अगले बरस फिर धूमधाम से, साथ तुम्हारे गांऊगा
गणपति बप्पा की जय, गणपति बप्पा मोरया
अगले बरस तू जल्दी आना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी