“अगर”
“अगर”
मोहब्बत दिल में हों तो
असम्भव नहीं है
सात समन्दर तैरकर पार करना,
आसान हो जाता है
कंचनजंगा की चोटियों पर फतह करना,
कठिन नहीं रह जाता
मुमताज की यादों का ताजमहल बनाना।
(माटी का दीया से,,,)
“अगर”
मोहब्बत दिल में हों तो
असम्भव नहीं है
सात समन्दर तैरकर पार करना,
आसान हो जाता है
कंचनजंगा की चोटियों पर फतह करना,
कठिन नहीं रह जाता
मुमताज की यादों का ताजमहल बनाना।
(माटी का दीया से,,,)