अगर प्यार की राह पर हम चलेंगे
अगर प्यार की राह पर हम चलेंगे
नहीं शूल फिर नफ़रतों के चुभेंगे
छुपी बात दिल की चली आई लब पर
तो बिन बात के ही फ़साने बनेंगे
अगर हम कहेंगे सफ़ाई में कुछ भी
तुम्हें वो हमारे बहाने लगेंगे
ये वादा है ग़म हम छिपा लेंगे दिल में
तुम्हें मुस्कुराते हुए ही मिलेंगे
समझकर इसे खेल किस्मत का अपनी
कभी कोई शिकवा न तुमसे करेंगे
ये सच है उगेंगे सुबह की तरह हम
तो हम शाम बनकर यहीं पर ढलेंगे
लगाएंगे जब बाग रिश्तों का मिलकर
तभी ‘अर्चना’ गुल ख़ुशी के खिलेंगे
डॉ अर्चना गुप्ता
06.02.2024