Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2024 · 1 min read

अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप क

अगर आपको अपने आप पर दृढ़ विश्वास है कि इस कठिन कार्य को आप कर सकते हैं, तो इसका सीधा अर्थ है कि आपने कार्य करने का आधा बाधा पार कर लिया है।

पारस नाथ झा

20 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all
You may also like:
बह्र-2122 1212 22 फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन काफ़िया -ऐ रदीफ़ -हैं
बह्र-2122 1212 22 फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन काफ़िया -ऐ रदीफ़ -हैं
Neelam Sharma
दुखों का भार
दुखों का भार
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्रेम गजब है
प्रेम गजब है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मुश्किलों से क्या
मुश्किलों से क्या
Dr fauzia Naseem shad
कर दो बहाल पुरानी पेंशन
कर दो बहाल पुरानी पेंशन
gurudeenverma198
अंधभक्तो अगर सत्य ही हिंदुत्व ख़तरे में होता
अंधभक्तो अगर सत्य ही हिंदुत्व ख़तरे में होता
शेखर सिंह
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*प्रणय प्रभात*
शेरे-पंजाब
शेरे-पंजाब
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
-- गुरु --
-- गुरु --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दुआ
दुआ
Dr Parveen Thakur
अरमान
अरमान
अखिलेश 'अखिल'
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
श्री कृष्ण भजन
श्री कृष्ण भजन
Khaimsingh Saini
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
ओनिका सेतिया 'अनु '
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कविता : आँसू
कविता : आँसू
Sushila joshi
अजनबी
अजनबी
लक्ष्मी सिंह
नव अंकुर स्फुटित हुआ है
नव अंकुर स्फुटित हुआ है
Shweta Soni
देव उठनी
देव उठनी
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मृत्यु शैय्या
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
सत्य कुमार प्रेमी
Consistency does not guarantee you you will be successful
Consistency does not guarantee you you will be successful
पूर्वार्थ
आजकल गरीबखाने की आदतें अमीर हो गईं हैं
आजकल गरीबखाने की आदतें अमीर हो गईं हैं
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
शेरनी का डर
शेरनी का डर
Kumud Srivastava
*गुरुओं से ज्यादा दिखते हैं, आज गुरूघंटाल(गीत)*
*गुरुओं से ज्यादा दिखते हैं, आज गुरूघंटाल(गीत)*
Ravi Prakash
सरस्वती वंदना-1
सरस्वती वंदना-1
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...