अक्षर
अक्षर अक्षर जोड़ लिख दिया सारा दिल का हाल।
तूही तो धनवान है गोरी मैं तो हूँ कंगाल।।
बिना मोल मैं बिक जाता हूँ देखो जरा कमाल।
तेरी एक झलक ही करती तुझको मालामाल।।
नयन कटारी बर्छी तेरे पलके बनती ढाल।
शब्द शब्द में झलके गोरी तेरा रुप जमाल।।
गली – गली में तेरे चर्चे करती बड़े वबाल।
दीवाना ये शहर है तेरा तू है एक सवाल।।
अश्क आँख से ढलके जिस दम पाती हुई निढाल।
‘आस’ करे किसका वेगाना हुआ इश्क जंजाल।।
स्वरचित मौलिक सर्जना द्वारा….
कौशल कुमार पाण्डेय आस