“अकेला”
“अकेला”
सैकड़ों महफिलें औ’ हजारों मेले हैं,
फिर भी इंसान बहुत अकेले हैं।
हँस के जी लो जिन्दगी के चार दिन,
वरना हर मोड़ पे बहुत झमेले हैं।
“अकेला”
सैकड़ों महफिलें औ’ हजारों मेले हैं,
फिर भी इंसान बहुत अकेले हैं।
हँस के जी लो जिन्दगी के चार दिन,
वरना हर मोड़ पे बहुत झमेले हैं।