अकेला
जीवन में चल ए इंसान तून अकेला,
इस में कभी ,नहीं है कोइ झमेला,
किस के भरोसे कि आशा करता है,
भगवान् तुझ से पहले खड़ा है अकेला !!
गर फंस जाओ तुम किसी भंवर में,
याद रखना उस को हर डगर में,
जीवन पथ काँटों भरा क्यों न हो ?
खुश रखना दिल को हर सफ़र में !!
जिन्दगी अकेला ही चलने का नाम है,
अकेला चला था वहां से, पहुंचा अकेला यहाँ पे,
अकेले के साथ ऊपर वाला है हर पल
फिर डर क्यों लगता है अकेले के नाम से !!
किसी का साथ मिले न मिले तून चल अकेला,
कश्तियाँ जिन्दगी कि पार कर बस तून अकेला,
जीवन कि गहरायिओं को समझ तून अकेला,
जीवन में कांटो का ताज तून पहन बंदी अकेला !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ