“अकेलापन”
“मैंने अकेलापन चुना नहीं स्वीकार किया है”
कोई मज़ाक ना बनाएं मेरी अधूरी मोहब्बत का, या किसी मुलाक़ात में कोई ज़िक्र ना करदे तुम्हारा, कोई पूछ ना ले मुझसे कहाँ है वो शख्स जो सिर्फ़ तेरा था और फ़िर सहम जाता हूँ महफ़िलों में जब कोई लेता है नाम तुम्हारा,
इसलिए मैंने झूठ कहा है सबसे मैंने अकेलापन चुना है,
हाँ मैं उन्हें बता नहीं पाया की मूझे अकेलापन स्वीकार करना पड़ा …!
“लोहित टम्टा”