अकेलापन
यह अकेलापन काटने को दौड़ता है मुझे
न जाने क्यों लोग मुझसे शर्माते हैं।
मुझसे बात करने से कतराते हैं।
हमेशा अकेलापन महसूस होता है मुझे।
हर जगह मैं अनजाना-सा रह जाता हूँ।
हमेशा कम समझ लेते है लोग मुझे।
हमेशा मैं ही इस अकेलापन झेलता हूँ
मेरी बात सुनता नहीं कोई,
मुझसे बात करता नहीं कोई।
न जाने क्यों
अकेला मैं पड़ जाता हूँ
दिल की बात दिल में दबाए रह जाता हूँ।
पर इस अकेलेपन ने मुझे कवि बना दिया
और जीने का नया मतलब सिखा दिया।
– श्रीयांश गुप्ता