अकाश,कुछ बदल पाता
अकाश हाथ का लकीर को पढ़ पाता,कुछ बदल पाता
सबके चेहरे में हंसी नहीं तो मुस्कुराहट तो ला पाता ।
अकाश पसीने भरी ललाट पोछ कर कुछ देख पाता
संसार के सब अंगना में खुशियों को दे पाता ।
अकाश मैं बदलता रुख की हवा को बदल पाता
जो जा चूक है वह गया ,जो बचा वह बचा पाता ।
अकाश राशिफल को जानकर उसे कुछ बदल पाता
जो घट चुका वह घट गया, जो घटा नहीं उसे रोक पाता ।
अकाश मैं परमपिता परमेश्वर का ध्यान लगा पाता
गौतम कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत ,बदल पाता।।
गौतम साव