अकथ कथा
🥀प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!🥀
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रात भी स्वर्णिम हुई, शुभप्रभात साजन।
जगी उषा किया मधु, से स्नात साजन।
प्रीति पिया हमको मिली सौगात साजन।
ऐसे मिले हम हुआ, एक गात साजन।
दुग्ध उज्ज्वल में नहाई शुभ्र कौमुदी है।
प्रेम परिणय प्रणय बहती नदी है।
हर लता-तरु में प्रणय की छिड़ी रागिनी है।
देखो इंदीवर, रिझाती शरद चाँदनी है।
रात भी स्वर्णिम हुई, शुभप्रभात साजन।
जगी उषा किया मधु, से स्नात साजन।
कह दो प्रियतम आज तुम मेरे लिए हो!
बोल दो न बात क्यों तुम लब सीये हो!
प्रणय तृषा का आप ही मधुरस पीये हो।
हर श्वास मेरी आप ही धड़कन हिये हो।
रात भी स्वर्णिम हुई, शुभप्रभात साजन।
जगी उषा किया मधु, से स्नात साजन।
प्रेम हिया-वीणा प्रिय तुमने कसी है।
स्वर्ग सा उल्लास भर, खिलती हँसी है।
आप ही बस आप अन्तर में बसे हो।
अनमोल नीलम से तुम्हीं मुझको लसे हो।
रात भी स्वर्णिम हुई, शुभप्रभात साजन।
जगी उषा किया मधु, से स्नात साजन।
नीलम शर्मा ✍️
🥀कृष्ण पूर्ति राधा ! राधा !!🥀
🌹🙏🌹